Tuesday, November 5, 2019

Piles Prevention in Hindi | बवासीर से कैसे बचाव करें

मलाशय और गुदा में जो नसें मौजूद होती है, जिनपर मलत्याग करते वक्त सूजन या तनाव आता है जिसे बवासीर (Piles) कहते है। गुदा और मलाशय में जो Varicose veins है, उनपर दबाव पड़ने पर बवासीर (Piles) होता है। यह मलाशय या गुदा के बाहर की तरफ या अंदर की और हो सकता है। तो आइये जानते है, Piles Prevention in Hindi - बवासीर से कैसे बचाव करें;

बवासीर (Piles) को कैसे रोके? 


बवासीर (Piles) को रोकने का सबसे अच्छा तरीका मल को नरम रखना है, यानि मलत्याग के दौरान वह आसानी से बाहर आ सके। स्वच्छ और पौष्टिक आहार मल को नरम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आपको पुरे दिन में 25-30 gm या उससे ज्यादा Fiber के गुण वाले पदार्थ खाने चाहिए।

Fiber के गुण वाले पदार्थ में घुलने वाले और बिना घुलने वाले ऐसे दो प्रकार के फाइबर होते हैं। अगर आप Fiber मिश्रित आहार को अपने खाने में शामिल नहीं कर सकते हैं, तो इसे आहिस्ते आहिस्ते अपनी diet में शामिल करें, क्यो की diet में अचानक Fiber शामिल करने से gas और पेट फूलने की समस्या का सामना कर पड सकता है।

Read: Causes of Piles in Hindi | बवासीर होने के कारण और बढ़ने के खतरे

आप बवासीर (Piles) को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं।

१) लम्बे समय तक Toilet में ना बैठें:
Toilet में बहोत देर बैठें रहने से मल त्यागने में परेशानी हो सकती है। Toilet Sit पर गलत तरीके से बैठने के कारण भी गुदा के इर्द गिर्द की blood vessels पर दबाव पड़ता है। इसी वजह से लम्बे समय तक Toilet में ना बैठें।

२) शौच करने की इच्छा को नजरअंदाज न करें:
यदि आप शौच करने की की उपेक्षा करते हैं, तो इससे आपका मल कठोर या शुष्क बन सकता हैं। जिसके कारण उसको बाहर आने में मुश्किल होती है और गुदा की स्नायु पर दबाव पड़ता है। इसीके साथ शौच की इच्छा न होने पर आप अनावश्यक जोर नही लगाना चाहिए।
 
३) अधिकाधिक पानी पिएं:
अधिकाधिक पानी पिने से मल नरम होने में मदद मिलती है। और उसे बहार आने में कठिनाई नही होती है।
 
४) रोजाना Exercise करें:
रोजाना की जाने वाली शारीरिक गतिविधिया से मल त्याग करने में आसानी होती है। इसलिए Exercise को अपने रोजाना की आदतों में शामिल करें। पहले आसान और कम भर वाली Exercise (जैसे, पैदल चलना, jogging, cycling) करें।

हररोज केवल 20 मिनट पैदल चलना भी मल त्याग करने की प्रक्रिया बेहतर बनता है। शुरवाती दौर में अधिक भार वाली Exercise से बचें। और फिर धीरे-धीरे अधिक प्रभावी Exercise करने की आदत को अपनाएं।
   
५) Fiber से भरपूर खाद्य पदार्थ खाइए:
अपने रोजाना के आहार में अधिकाधिक मात्रा में Fiber युक्त पदार्थोंको (जैसे, Cereals, हरी-भरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज) शामिल करें।  इसके साथ आपको ईसबगोल (Psyllium) जैसे Natural Fiber को भी अपनी diet में शामिल करना चाहिए। किंतु Fiber युक्त पदार्थोंको सीधे अपनी diet मिल न करें क्योंकि इसकी वजह से पेट फूलने की समस्या और गैस भी होती है।
 
६) हमेशा active रहे:
अगर आपकी दैनंदिन जीवनशैली में लगातार बैठे रहने वाली job शामिल है, तो ऐसे में लगातार बैठे रहने वाली कार्यप्रणली में थोड़ा बदलाव करें। हर एक घंटे में दो-तीन मिनट का विराम लें या थोड़ा घूम ले।

अगर आपके दफ्तर में lift है तो उसकी की जगह सीढ़ियों का प्रयोग करें। इसके आपको कुछ दूर चलने का अवसर मिलेगा।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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Monday, November 4, 2019

नवजात शिशु की देखरेख कैसे करें - How to care for a Newborn in Hindi

नवजात शिशु की देखरेख करने के सही तरीके - Best tips to care for a newborn baby in Hindi

नवजात शिशु की देखरेख करना कोई आसान बात नहीं है। उनकी देखभाल बड़ी ही सावधानी से करनी पड़ती है। क्योंकी नवजात शिशु को बाहर की परिस्थिति से परिचित होने में थोड़ा वक्त लगता है। जन्म के बाद शिशु की बहुत बातो का ध्यान रखना होता है। जैसे की उसे माँ का कितना दूध पिलाना चाहिए, उसकी नींद, नवजात शिशु के कपडे आदि। तो आइये इस लेख में जानते है, नवजात शिशु की देखरेख कैसे करें - How to care for a Newborn in Hindi

Navjaat Shishu Ki Dekhbhal Kaise Kare

नवजात शिशु की देखभाल करने के लिए अनुभव होना बहुत जरुरी होता है। पुराने ज़माने में परिवार में बड़े बुजुर्ग होते थे जो की नवजात शिशु की देखभाल कैसे की जाती है इस बात को अच्छी तरह से जानते थे। लेकिन आजकल की विभक्त परिवार पद्धति में इन बातो का अनुभव कम होता है।

इसलिए नवजात शिशु की सही तारीखे से देखभाल करने के लिए हम आपको कुछ बाते बताने जा रहे है जिससे आप अपने Navjaat Shishu Ki Dekhbhal न केवल अच्छे तरीके से कर सकेंगे बल्कि अपने माता पिता का कर्त्तव्य भी बड़ेहि अच्छी तरह से निभाएंगे।

नवजात शिशु की देखरेख का सही तरीका - Right way to care for newborn


डॉक्टर की सलाह - Doctor's advice

सबसे पहले अपने नवजात बच्चे की आपके डॉक्टर की मदद से अच्छे से जांच करले और यह निश्चित कर ले की आपका नवजात शिशु पूरी तरह से ठीक है या नहीं। यह बात आपके नवजात पैदा हुए बच्चे के देखभाल का सबसे अहम् भाग है।

नवजात शिशु इस दुनिया में बिल्कुल नया होता है उसमे कुछ बच्चे जल्दी से रोते नहीं है। उसी तरह कुछ नवजात बच्चो का वजन भी कम ज्यादा होता है। ऐसे में माँ बाप डर जाते है। कुछ नवजात शिशु को पीलिया होने का भी खतरा रहता है ऐसे मामले में तुरंत डॉक्टर को बताना उचित रहता है।

नवजात बच्चे का बिस्तर और तकिया - Newborn baby bed and pillow

नवजात बच्चे के सिर का पिछला हिस्सा काफी नर्म होता है। और उनकी skin भी काफी मुलायम होती है। उनके सिर की देखभाल करना बहोत ही जरुरी कम होता है। ताकि उनके सिर और पूरी बॉडी को अच्छे से आराम मिले और सिर के पिछले हिस्से को कोई नुकसान न पहुंचे।

इसलिए नवजात शिशु का बिस्तर और तकिया उनके सिर और बॉडी के हिसाब से छोटा और एकदम नर्म होना चाहिए। आप इसके लिए नवजात बच्चे के वजन और आकार के हिसाब से बाजार में मिलने वाले विशेष बिस्तर और तकिये का इस्तेमाल कर सकते है।

शिशु को कैसे लें - How to take an infant

नवजात शिशु को गोद में लेना बहोत ही नाजुक काम है। क्योकि जन्म के बाद शिशु बहुत ही नाजुक होता है। उसकी गर्दन और सिर का हिस्सा भी बहोत ही नाजुक होता है। इसलिए नवजात शिशु बड़े ही सावधतापूर्वक गोद में लेना चाहिए। उसे गोद में लेते वक्त उसके सिर निचे अपना एक हाथ रखकर उसे उठाना चाहिए। और अपना दूसरा हाथ उसके कमर के नीचे रखें।

ध्यान रहे नवजात शिशु की मासपेशियां पूरी तरह से विकसित न होने के कारण बहोत नाजुक होती है इसलिए आप जब भी उन्हें अपनी गोदी में उठा रहे हो तो उनके शरीर को सावधानी रखते हुए सहारा देकर ही उठायें।

बच्चे को दूध कैसे पिलाना चाहिए - How to breastfeed a baby

माँ के दूध नवजात शिशु के लिए बहोत जरुरी होता है। लेकिन शुरवात में बच्चे को माँ का दूध पिने में कठिनाई होती है। इसलिए बच्चे को दूध कैसे पिलाये यह माँ पर निर्भर होता है। जन्म के तुरंत बाद माँ के स्तन से गाढ़ा और पीला दूध निकलता है जो शिशु के लिए बहोत फायदेमंद होता है। इस कोलेस्ट्रम कहते है।

माँ का यह दूध पिने से बच्चे में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। जिससे बच्चे को स्वस्थ और तंदरुस्त रहने में मदद मिलती है। अतः अपने नवजात शिशु को यह दूध कैसे पीलाना है यह माँ को बड़े धैर्य से सीखना चाहिए। शुरवात में माँ की मदद से ही बच्चा दूध पिने लगेगा।

नवजात शिशु को माँ अपने दोनों स्तनों से दूध पिलाये ताकि बच्चे को उसकी आदत हो जाये। दूध पिलाते वक्त बच्चे को सास लेने में दिक्कत न हो इसका माँ को ध्यान रखना चाहिए। क्योकि शिशु जब गर्भाशय में होता है तो वो माँ के साथ का आदि हो जाता है।  उन्हें माँ का स्पर्श सुरक्षित महसूस कराता है।

दूध पिलाते वक्त बच्चे को सास लेने में दिक्कत न हो इसलिए माँ को अपने स्तन को थोड़ा दबाकर शिशु के साँस लेने के लिए जगह बनानी चाहिए। अगर स्तन में ज्यादा दूध भर जाये तो उसे निकल लेना चाहिये। नहीतो स्तनो में दर्द की संभावना बढ़ जाती है।

जन्म के बाद बच्चे के टीके का समय - Baby vaccine time

जन्म के बाद बच्चे के टीके का सही समय ध्यान रखना बहोत आवश्यक होता है। अगर सही समय पर टीकाकरण नहीं करने पर शिशु गम्भीर बीमारियों के चपेट में आ सकते है। इसलिए नवजात शिशु को सही समय पर सही टिका (Vaccine) लगाना चाहिए।

टीके का सही समय ध्यान रखने के लिए सम्बंधित टीके का चार्ट बनवा लेना चाहिए ताकि आप टीका लगवाने का सही समय याद रख सकेंगे। साथ ही शिशु का प्रोग्रेस चार्ट बनवा ले। जिसकी मदद से आप अपने बच्चे का शारीरिक तौर पर सही विकास हो रहा है नहीं यह जान सकेंगे।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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Wednesday, October 23, 2019

प्रेग्नेंसी स्ट्रेस को कम करने के ६ आसान टिप्स - Best 6 Tips to Reduce Pregnancy Stress in Hindi

माँ बनने से पहले गर्भावस्था में एक माँ के लिए मातृत्व का अनुभव उनकी जहन में ताउम्र विद्यमान रहता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए। क्योंकि तनाव न केवल गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और मानसिक थकावट का कारण बन सकता है, बल्कि गंभीर स्थिति होने पर गर्भपात का कारण भी बन सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को तनाव से बचने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हम आपको प्रेग्नेंसी स्ट्रेस को कम करने के ६ आसान टिप्स - Best 6 Tips to Reduce Pregnancy Stress in Hindi बताने जा रहे हैं। जो निश्चित रूप से आपको लाभान्वित करेंगे।

गर्भावस्था के दौरान तनाव को कैसे कम करें - How to reduce stress during pregnancy


गर्भवती स्त्रियोंको अपने वजन, बच्चे की सेहत, अपना आहार और दिनचर्या को लेकर कई बातों की चिंता सताती रहती है। उसीतरह अपने घरके रोजमर्रा के कामों से भी वे खासी परेशान रहती हैं। आज हम खास उन महिलाओंको 6 ऐसे सकारात्मक तरीके बताएँगे, जो आपको गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव से तनावमुक्त रहने में आपकी मदद कर सकते हैं:

Read More: https://ghareluremedies.com/best-6-tips-reduce-pregnancy-stress-hindi/

अ‍ॅक्टिव रहें - Be Active

आज की जीवनशैली में हम सभी शारीरिक रूप से बहुत अधिक active नहीं हैं। क्योंकि आजकल हम अपने सभी काम एक जगह बैठकर या खड़े होकर करते है। इसलिए शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए विभिन्न व्यायाम करें और विशेषज्ञ की सलाह से चलें।

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में शारीरिक रूप से बहुत अधिक active होना चाहिए। यह उन्हें प्रसव के दौरान आने वाली विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों से निपटने में मदद करता है।

आहार का ध्यान रखें - Take Care of diet

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन पहले की तुलना में अधिक बार होते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप अपने आहार से मिलने वाले पोषक तत्वों पर ध्यान दें।

डॉक्टर द्वारा सुझाये गए सभी खाद्य पदार्थों का सेवन करे और दवाओं को समय पर लें। अपने रोज के खाने में फल और दालों का अधिकतम सेवन करें।

नींद का ध्यान रखें - Take care of sleep

गर्भावस्था के दौरान आपको अपनी नींद का भी ध्यान रखना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त नींद लेती है, तो इससे उनके होने वाले शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह शिशु के विकास में काफी मदद करता है।

साथ ही, महिला का शरीर गर्भावस्था के बीच होने वाले दर्द का सामना करने में सक्षम बनता है। पर्याप्त मात्रा में नींद लेने से गर्भवती महिला का हार्मोनल स्तर भी सही रहता हैं। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओंको अच्छी और पर्याप्त नींद लेने की आवश्यकता होती है।

योग और मेडिटेशन करे - Do yoga and meditation

योग और मेडिटेशन गर्भवती महिलाओंके लिए एक ऐसा प्रभावशाली तरीका है जिसकी मदद से आप प्रेग्नेंसी स्ट्रेस को बड़ी आसानी से कम कर सकती है, और गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव से मुक्त रह सकती हैं।

विशेषज्ञोंके अनुसार, अगर आप दिन में केवल १०-१५ मिनट के लिए मेड़िटेशन करते है, तो वो आपके तनाव को रोकने में आपकी काफी मदद करता है। उसी तरह गर्भावस्था के दौरान शरीर में आई जकड़न और उत्साह बनाये रखने में योग में कई तरीके के योगासन करना भी लाभदायक होता है।

दूसरोंसे बात करें - Talk to others

गर्भावस्था के दौरान अक्सर ऐसा देखा जाता है की जैसे-जैसे प्रसव के दिन नजदीक आते है, माँ के लिए अपने भावनाओंपे नियंत्रण रखना कम होता जाता है। ऐसे वक्त आप तनाव महसूस कर सकती है। 

इस समय तनाव कम करने के लिए आपको आपके रिश्तेदार, परीजनोंसे ज्यादा से ज्यादा बात करनी चाहिए। वे सभी लोग आपकी भावनओं को जानने में रूचि दिखाएंगे। आप जितना अपने आपको व्यक्त करेंगी उतनाही तनाव से राहत महसूस करेंगी। दूसरोंसे बात करने से आपके मन को शांति मिलेगी।

मालिश ले - Take a massage

सभी तरह के तनाव को कम करने के लिए मालिश एक उम्दा तरीका है। यह न केवल आपको तनाव मुक्त करेगा बल्कि आपकी शारीरिक तक़लीफोंको कम करने में भी कारगर साबित होता है।

इसलिए गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंसी स्ट्रेस को कम करने के लिए आप किसी विशेषज्ञ से मालिश ले। मालिश के बाद आप खुदको तरोताजा और ऊर्जावान feel करेंगी।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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Friday, October 11, 2019

पेट कम करने के बेस्ट योगा टिप्स - Best Yoga Tips For Flat Stomach in Hindi

आज की हमारी lifestyle ऐसी हो गई है की हमें ठीक से exercise करने के लिए वक्त नहीं मिल पाता। उसके साथ आजकल की खानपान की आदते और junk food की खाने में हुई वृद्धी के कारण हर दूसरा व्यक्ति पेट की बढ़ती चर्बी से परेशान है। पेट की चर्बी बढ़ती तो बहोत जल्दी है लेकिन इसे काम कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसे काम कर पाना नामुमकिन नहीं है, अगर आप भी पेट की बढ़ती चर्बी से परेशान है तो हम इस लेख में आपको पेट कम करने के बेस्ट योगा टिप्स (Best Yoga tips for flat stomach in hindi) बताने जा रहे है जो आपका निकला हुआ पेट कम करने के लिए बहोत फायदेमंद है।

पेट की चर्बी बढ़ने से हम मोटापे का शिकार हो जाते है। इससे तोंद निकल आती है। जिसके कारण पेट के बल झुकने में, ज्यादा चलने या सीढ़ियां चढ़में तकलीफ होती है और सांस लेना कठिन हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक मोटापे से पीड़ित लोगोंको हार्ट अटैक, स्ट्रोक, डायबिटीज, आर्थराइटिस, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी बीमरियोंके चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है।  लेकिन आप नियमित exercise और yoga करने से इस समस्या से निजात पा सकते है। और मोटापे और अन्य बीमारियोंसे भी हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है। इस post में हम आपको पेट की चर्बी कम करने के योगा टिप्स (Pet ki charbi kam karne ke liye yoga tips) के उन्ही तरीको से सांझा करने वाले है।

पेट की चर्बी कम करने के योगा टिप्स - Yoga tips to reduce belly fat in Hindi

योगासन एक ऐसी क्रिया है जिसके करने से न केवल पेट की चर्बी काम करने में मदद मिलती है बल्कि इससे पुरे शरीर को भी आश्चर्यकारक लाभ मिलता है।  योगासन करने की एक विधि होती है और इसे स्टेप बाय स्टेप करना होता है। तो आइये जानते है वे कोनसे योगासन है जो पेट की बढ़ी हुई चर्बी से छुटकारा पाने में कारगर साबित होते है। पेट की चर्बी कम करने के योगा टिप्स (Yoga tips to reduce belly fat) निम्मलिखित  है :

पेट की चर्बी कम करने के लिए सूर्य नमस्कार - Surya Namaskar to reduce belly fat rapidly 


"सूर्य नमस्कार" शरीर को ऊर्जा से भरपूर और तरोताजा बनाने के लिए सबसे best आसन है। यह एक ऐसा योगासन है जिसेमें शरीर के सभी अंग एकसाथ और एक समय में काम करते हैं। पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम करने में यह योगासन सबसे कारगर है। सूर्य नमस्कार १२ आसनों का संगम है। हर रोज सुबह उठकर सूरज के सामने सूर्य नमस्कार (sun salutation) करने से कई लाभ मिल सकते है।

सूर्य नमस्कार कैसे करे | How to do Surya Namaskar

Step 1 : सूर्यनमस्कार की पहली स्टेप को प्रणाम आसन कहते है। यह करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरो को जोड़कर सीधे खड़े रहे और दोनों हाथों अपनी chest के पास प्रार्थना की मुद्रा में लाये।

Step 2 : सूर्यनमस्कार की दूसरी स्टेप हस्तउत्तानासन है। यह करते समय गहरी सांस ले। सांस लेने के साथ ही अपने दोनों हाथोंको सीधा ऊपर की तरफ ले जाये। और खुदको अपनी पीछे की और झुकाने की कोशिश करें।

Step 3 : यह करते समय सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए आगे की तरफ झुक जाये। इसके साथ ही अपनी हथेलियों को जमींन को लगाने की कोशिश करे और साथ ही पैरोंको बिना मोड़े माथे को घुटने से स्पर्श करने की कोशिश करे। सूर्य नमस्कार की इस क्रिया को पादहस्तासन कहते है।

Step 4 : अश्व संचालनासन सूर्य नमस्कार की चौथी स्टेप है। इसमें सांस लेते हुए बाएं पैर को थोड़ा मोड़ ले और दाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं। और साथ ही अपनी दोनों हथेलियोंको जमीन को लगाए।

Step 5 : सूर्य नमस्कार की अगली स्टेप है पर्वतासन। इस स्टेप में सांस छोड़ते हुए अपने दाएं पैर को पीछे की तरफ stretch करे। उसके बाद बीच से शरीर को ऊपर की ओर उठाये। इस स्टेप को करते समय अपनी हाथोंको सीधा रखे और ankles को जमीन से touch करने की कोशिश करे।

Step 6 : अब इस स्टेप में जमीन पर सीधा लेट जाये, साथ ही सांस लेना जारी रखे। सूर्य नमस्कार की इस स्थिति को अष्टांगासन कहते है। इस स्टेप में आपके घुटने, छाती और ठुड्डी जमीन को स्पर्श करेंगे।

Step 7 : सूर्य नमस्कार की अगली स्टेप भुजंगासन है। इस स्टेप में अपने कमर के  ऊपर के हिस्से को उठाएं। इस दौरान सांस जैसे की वैसेही रहने दे। और अपने दोनों हथेलियोंको जमीन से सटाकर रखे। 

Step 8 : इस स्टेप में फिर से शरीर को ऊपर की ओर उठाए। साथ अपने दोनों हाथोंको बिलकुल सीधा रखिये। इस स्टेप में अपनी दोनों ankles को जमीन से स्पर्श कराने का प्रयत्न करें। सूर्यनमस्कार की इस स्टेप को पर्वतासन कहते है।

Step 9 : सूर्यनमस्कार की अगली स्टेप है अश्व संचालनासन। इसमें सांस लेते हुए बाएं पैर को आगे लाये और बैठ जाएं। साथ ही अपने दाएं पैर को बिलकुल सीधा रखके घुटने को जमीन से लगाए रखें।

Step 10 : पादहस्तासन सूर्यनमस्कार की १० वि स्टेप है। जिसमे आपको अपने दाएं पैर को सांस छोड़ते हुए आगे लाना है और अपने दोनों हथेलियोंको जमीन से व अपने पैरोंको बिना मोड़े माथे को घुटने से स्पर्श करना है।

Step 11 : इस स्टेप में अपने शरीर के साथ अपने दोनों हाथोंको सांस लेते हुए ऊपर की तरफ उठाने की कोशिश करें। उसके साथ ही शरीर को पीछे की तरफ stretch करें। इस स्टेप को हस्तउत्तानासन कहते है।

Step 12 : प्रणाम आसन सूर्य नमस्कार के एक चक्र की अंतिम स्टेप है। जिसमे आपको फिर से सीधे खड़े होते हुए नमस्कार की अवस्था में आना है। इस प्रकार आपका एक सूर्य नमस्कार पूरा हो जायेगा।

पेट की जमी हुई चर्बी कम करने के लिए आपको इस चक्र को हर दिन कम से कम 25 -30 बार दोहराना होगा। शुरू-शुरू में आप इसे दो हिस्सों में विभाजित कर सकते है।

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सूर्य नमस्कार के फायदे क्या है - What are the benefits of Surya Namaskar in Hindi

• मोटापा कम करने के लिए सूर्य नमस्कार सबसे फायदेमंद आसन है और इसे करने से आपका मानसिक आरोग्य तथा वजन संतुलित रखने में मदद मिलती है।
• सूर्य नमस्कार रोजाना करने से यह आपके शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है। 
• सूर्य नमस्कार से पाचन तंत्र ठीक रहता है।
• शारीरिक और मानसिक तनाव दूर करने के लिए ये आसान कारगर साबित होता है।
• यह एकलौता ऐसा आसन है जिसके करने से आपके शरीर के सिर से लेके पैर तक सभी अंगों को लाभ मिलता है।
• सूर्य नमस्कार करने से शरीर में हो रहे दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।

सूर्य नमस्कार की सावधानियां - Sun salutation Precautions

• महिलाओं को गर्भावस्था और पीरियड के दौरान सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
• स्पाइनल प्रॉब्लम जैसे स्लिप डिस्क वाले पेशंट्स, घुटनो के दर्द के मरीज इस आसन को न करे।
• जिन लोगोंको हाई ब्लड प्रेशर, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी या हार्ट की कोई बीमारी है वे लोग भी इस आसन को न करे।
• जिन लोगोंको सांस फूलने की बीमारी है उन्हें भी सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।

पेट कम करने के लिए नौकासन - Naukasan to reduce belly fat in Hindi


पेट की चर्बी कम करने के लिए और पाचन तंत्र में सुधर लाने के लिए नौकासन या बोट पोज़ बहुत फायदेमंद योगासन है। इसे रोजाना करने से पेट की मासपेशियां मजबूत होती है और पेट से जुडी तकलीफे दूर होने में भी मदद मिलती है। तो आइये नौकासन (boat pose) के बारे में विस्तार से जानते है,

नौकासन करने का तरीका | How to do boat pose (Naukasana)

• नौकासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर आसन बिछाकर सीधे लेट जाये। यह आसन करते समय पैरोंको सीधा रखे।
• अब सांस लेते हुए अपने सिर को उठए और साथ अपने दोनों हाथोंको सामने की और सीधा रखे।
• अब आहिस्ता-आहिस्ता अपनी कमर को और अपने पैरोंको एकसाथ ऊपर उठाये जैसे साथ वाली फोटो में दिया गया है।
• उसके बाद इसी अवस्था में बने रहे इससे आप अपनी पेट और पैर की मासपेशियोंमे थोड़ा खिचाव महसूस करेंगे।
• इस स्थिति में कम से कम ३०-४० सेकंड्स तक बने रहे। 
• उसके बाद सांस छोड़ते हुए फिर से अपने शरीर को सीधा कर ले।
• शुरवात में इसे पांच बार करे और फिर बादमे इसके आदि होने पर इसे कम से कम १०-१२ रिपिटेशन में करे। थक जाने पर आप बिच-बिच में १० सेकण्ड्स का ब्रेक ले सकते है।

नौकासन करने के लाभ - What are the benefits of boat pose in Hindi

• नौकासन करने से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होने में मदद मिलती है।
• इसे करने से आपके हाथों, पैरों, कंधे की माँसपेशियोंमे मजबूत होती है।
• पेट की चर्बी कम करने के साथ ही नौकासन करने से पेट की muscles को stretch करके मजबूती प्रदान करता है। 
• यह आपके स्वास्थ में सुधार लाता है।
• नौकासन रोज करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इससे गैस, कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है।
• हर्निया के मरीज को यह आसन करने से राहत मिलती है।
• किडनी की बीमारी पर यह आसन काफी कारगर है। इससे Creatinine level कम कर सकते हैं।

नौकासन की सावधानियां - Naukasana precautions in Hindi

• महिलाएं मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान नौकासन न करे।
• जिन्हे हार्ट या अस्थमा का प्रॉब्लम है उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
• सिरदर्द, माइग्रेन और low blood pressure से पीड़ित लोग यह योगासन न करे।
• जिनके पेट का कोई operation हुआ है वे लोग नौकासन न करे।

कपालभाति से कम करें पेट - Reduce belly fat with Kapalbhati in Hindi


किसी ने खूब कहा है "करो योग रहो निरोग", वाकई में योग मनुष्य को प्राप्त किसी वरदान से काम नहीं है। योग में वैसे तो कई आसन है लेकिन पेट कम करने में कपालभाति का उपयोग न करना गलत होगा। कपालभाति एक ऐसा आसन है जिसकी मदद से आप न केवल पेट की चर्बी कम कर सकते है बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ को तनाव रहित रखने में यह बहोत ही कारगर साबित होता है। तो आइये जानते है, कपालभाति से कैसे कम करें पेट (reduce belly fat with Kapalbhati in Hindi)

कैसे करें कपालभाति प्राणायाम | How to do Kapalbhati Pranayama

कपालभाति एक प्राणायाम है। याद रहे प्राणायाम में सांस को बहोत महत्व होता है इसलिए कपालभाति करते समय अपनी सांस पर विशेष रूप से ध्यान दे। आइये जानते है कपालभाति प्राणायाम करने का सही तरीका..

• सबसे पहले आपकी रीढ़ की हड्डी एकदम straight हो उस स्थिति में आसन पर बैठ जाये |
• उसके बाद अपने घुटनों पर अपने हाथों को रखते हुए गहरी सांस ले।
• उसके बाद सांस छोड़े और पेट को जोर से अंदर ले। ऐसा करते वक्त अपनी सांस पर ध्यान रखे। 
• अब इसी क्रम को लगातार दोहराते रहे। फिरसे गहरी सांस ले, अपने पेट को थोड़ा ढीला छोड़े और जोर से बाहर की और धकेले।
• याद रखे की आपको कपालभाति प्राणायाम में अपने पेट को जोरों से सांस छोड़ते आगे-पीछे धकेलना है।
• इस क्रिया को आप अपनी सांस लेने की गति के अनुसार धीमी, मध्यम या तेज गति से दोहरा सकते है | 
• अगर आप पेट को जल्द से जल्द कम करना चाहते है तो इसे एक दिन में २०-२५ मीनट तक करे।
• एक और बाद जहन में रखे की इसे एक दिन में लगातार करने के बजाय बिच-बिच में १०-१२ सेकण्ड का ब्रेक लेकर करे।

कपालभाति प्राणायाम के फायदे - Benefits of Kapalbhati in Hindi

• कपालभाति प्राणायाम नियमित करने से पेट की चर्बी कम होती है।
• कपालभाति प्राणायाम से मोटापा दूर करने में और वजन संतुलित रखने में मदद मिलती है।
• इससे पेट की समस्या जैसे कब्ज, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओंसे निजात पाने में मदद मिलती है।
• यह आपके पाचन तंत्र में सुधार लाने में कारगर साबित होता है।
• कपालभाति लगातार करने से आप तनाव को दूर करके मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते है।
• इससे श्वसन संबंधित बीमारियां, साइनसाइटिस, श्वसन मार्ग के अवरोध, कैंसर जैसी बीमारियोंसे हमेशा के लिए निजात पाया जा सकता है।
• इसके करने से सिर दर्द की समस्या दूर की जा सकती है।
• वाकई में कपालभाति प्राणायाम एक वरदान है जिसके बारे में कहा गया है की ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसका इससे इलाज न हो सके।

कपालभाति की सावधानियां | Kapalbhati precautions in Hindi

• हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग से पीड़ित मरीज कपालभाति प्राणायाम न करे।
• जो लोग hyperacidity के शिकार है उन्हें यह आसन करने से बचना चाहिए।
• जिन्हे हर्निया, मिर्गी तथा सांस की बीमारी है ऐसे लोग कपालभाति बिल्कुल मत करें।
• गैस्ट्रिक अल्सर के मरीज यह आसन करने से बचे।

उपरोक्त सभी पेट कम करने के बेस्ट योगा टिप्स (Best Yoga tips for flat stomach in Hindi) है | बस अब आपको अगर पेट की चर्बी जल्द से जल्द काम करनी है तो आपको इन योगसनोंको लम्बे समय तक लगातार करना होगा। इनकी मदद से न केवल आप पेट की चर्बीसे निजात पाएंगे बल्कि मानसिक रूप से भी हमेशा तरोताजा महसूस करेंगे। बस इसे रोजाना करे और स्वस्थ्य जीवन का लाभ उठाएं|

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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Friday, October 4, 2019

Face waxing tips, Side effect, After waxing tips in Hindi

चेहरे की वैक्सिंग करते समय ध्यान रखने योग्य 6 बातें


चेहरे पर अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए लड़कियां चेहरे पर ब्लीच या वैक्स करती हैं। उसीके साथ कई सौंदर्य उत्पादों और उपचारों का भी उपयोग करती है। उनमें से, कई महिलाएं चेहरे पर के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए वैक्सिंग का सहारा लेती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं? वैक्सिंग करते समय कई बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। अन्यथा आपको फायदा होने के बजाय नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं कि face waxing करने से पहले आपको किन बातों पर ध्यान देना चाहिए / 6 things to get consider while face waxing

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Face Waxing Tips in Hindi | फेस वैक्सिंग टिप्स


खुद face wax न करें 

अक्सर, लड़कियों सोचती है कि face waxing करना बहुत आसान है। इसलिए वे घर पर ही face waxing शुरू कर देते हैं। लेकिन, कभी भी घर पर ऐसा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। आप किसी की मदद से face wax strips का उपयोग कर सकते हैं।

स्वच्छता का ध्यान रखें | Take care of cleanliness

Waxing से पहले चेहरे को अच्छी तरह से धो ले। और बाद में अच्छे से साफ करले। इसके लिए आप facewash का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। ध्यान रहे की अगर चेहरा साफ है तभी वैक्सिंग के बाद चेहरे पर अनचाहे बाल हटाने में मदद मिलेगी।

Scrubbing और bleaching के दौरान सावधान रहें

वैक्सिंग के 12 घंटे पहले या बाद में त्वचा पर ब्लीच, स्क्रबिंग या कोई फेसपैक न लगाएं। यह त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा वैक्सिंग के बाद फेसवॉश या साबुन का इस्तेमाल न करें।

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त्वचा के प्रकार पर ध्यान दें | Pay attention to skin type

वैक्सिंग से पहले, अपनी त्वचा के प्रकार की जाँच अवश्य कर लें। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो किसी त्वचा विशेषज्ञ से जरूर परामर्श करें। इसलिए आपको waxing के बाद संक्रमण नहीं होगा।

चेहरे के लिए उपयुक्त वैक्स चुनें | Choose the appropriate face wax 

चेहरे पर इस्तेमाल किया जाने वाला वैक्स अन्य वैक्स से अलग होता है। इसलिए जब चेहरे पर वैक्सिंग करें तो सही वैक्स का चयन करें। अन्यथा, आपको skin rashes, त्वचा पर चकत्ते, जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए आप एलोवेरा, हनी वैक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।

चेहरे के बालों की वृद्धि पर ध्यान दें | Focus on facial hair growth

चेहरे के बालों की growth कम होने पर वैक्स बिल्कुल न करें। अगर बालों की growth ज्यादा है तो वैक्सिंग फायदेमंद है। छोटे बाल काटने के लिए आप threading का उपयोग कर सकती हैं।

After waxing tips in Hindi | वैक्सिंग के बाद आपको क्या ध्यान रखना चाहिए


• वैक्सिंग के बाद, यदि skin लाल हो जाती है या उसपर rashes हो जाते हैं, तो उस पर बर्फ लगाएं या बर्फ के टुकड़े से मालिश करें।
• यदि चहरे पर अधिक जलन हो रही है, तो मुल्तानी मिट्टी, एलोवेरा जेल या ककड़ी का रस लगाए।
• वैक्सिंग के बाद वैक्सिंग लोशन लगाएं। जरूरत पड़ने पर आप face serum भी लगा सकती हैं।
• Waxing के बाद कोई भी सुगंधित क्रीम बिल्कुल न लगाएं। यह जलन पैदा कर सकता है।
• Waxing के बाद 24 घंटों के तक धुप में बिल्कुल न जाये।
• तकरीबन 24 घंटे के लिए स्विमिंग पूल में भी न तैरें।
• सिंथेटिक कपड़े से चेहरे को साफ न करे। इसके लिए napkin का उपयोग करें।
• चेहरे को साफ करने के लिए साबुन के बजाय फेस वॉश का इस्तेमाल करें।
• Waxing के बाद गैस के पास काम न करें। क्योकि waxing के बाद skin pores खुल जाते हैं। इस तरह यह skin को नुकसान पहुंचा सकता है।

Face waxing side effects in Hindi | फेस वैक्सिंग के साइड इफेक्ट्स


चेहरे की वैक्सिंग भी हानिकारक हो सकती है क्योंकि चेहरे की त्वचा मुलायम होती है। उसी तरह लगातार वैक्सिंग करने से समय से पहले झुर्रियां पड़ सकती हैं।

इसके अलावा अक्सर वैक्सिंग से hair follicles को नुकसान होता है। जो इंफेक्शन और सूजन जैसी समस्याओं का कारण बनता है। इससे निशान भी पड़ सकते हैं। इसलिए वैक्सिंग से पहले सावधान रहना जरूरी है।

Thursday, October 3, 2019

Best Health Tips For Women in Hindi

Best Health Tips For Women | महिलाओं के लिए बेस्ट हेल्थ टिप्स 


Best Health Tips For Women in Hindi - आजकल की भागदौड़ वाली जिन्दगीमें महिलाये अपने काम और परिवार के बीचमे तालमेल बिठाते वक्त खुद की सेहत को अनदेखा करती है। जिसका सीधा असर महिलाओंके सेहतपे हो रहा है। नतीजन उनमे बीमारियाँ बढ़ रही हैं। इसीलिए इस लेख में हम आपको स्वस्थ रहने के लिए सबसे बेस्ट हेल्थ टिप्स बताने जा रहे है....

Top 8 Health Tips For Women in Hindi | महिलाओं के लिए टॉप हेल्थ टिप्स

खाने पिनेपे ध्यान रखे | Pay Attention on Food & Drink  

आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी और बढ़ते हुए काम के कारण महिलाएं अक्सर अपने खाने पिने पर ध्यान नहीं दे पाती। जिसके कारण वे बीमारी का शिकार हो जाती है।
इसलिए अगर आपको स्वस्थ रहना है और आपको अपने परिवार का भी ख्याल रखना है तो सबसे पहले खुद के हेल्थ के बारे में ध्यान रखना होंगा। और खुदकी health अच्छी रहे इसलिए महिलाये अपने खाने पिने पे ध्यान दे।

पर्याप्त नींद ले | Get Enough Sleep 

अगर आप अच्छा स्वास्थ चाहती है तो महिलाओंको पर्याप्त नींद लेना बहोत जरुरी है। यदि नींद अच्छी हुई तो काम में आपका मन लगा रहेगा। लेकिन अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेती है तो आपको थकावट महसूस हो सकती है जिसका सीधा असर आपके काम पर हो सकता है, इसलिए पर्याप्त नींद ले। साथ ही अच्छी नींद हुई तो आप ह्रदय संबंधी तथा मानसिक बीमारियों का शिकार होने से भी बच सकती है।

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तनाव को खत्म करे | Destroy Your Stress 

आजकल ज्यादातर महिलाओ में दिखाई देनेवाली यह सबसे बढ़ी और अस्वस्थ कर देने वाली समस्या है। महिलाये अक्सर काम में busy रहती है।.उनके पास करने के लिए बहोत सारे काम होते है। जिनको करते करते वे ना ही सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से काफी थक जाती है। जिसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ पर पड़ता है और वे तनाव की शिकार हो जाती है।

तनाव से health related अन्य बीमारिया भी हो सकती है जिनमे ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट अटैक जैसी भयंकर बीमारियोंका सामना करना पड सकता है। इससे बचने के लिये ज्यादा तनाव में ना रहे और खुद को हमेशा तनाव से दूर रखने की कोशिश करे।

जनन क्षमता के बारे में विचार करे | Consider Fertility

वैसे तो ३० से ४० उम्र में महिलाओंको गर्भवती होने की कोई समस्या नही होती है, लेकिन अपने उम्र के 32 वे साल के बाद से ही वे अपनी जनन क्षमता को खोना शुरू कर देती है। इसीलिये इस उम्र में यदि आप बच्चे की चाह रखती है तो अच्छे डॉक्टर की सलाह ले।

पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम ले | Take a sufficient amount of calcium

कैल्शियम एक यैसा घटक है जिसकी खाने में मात्रा सही न हो तो आपको न केवल किडनी से जुडी कई बीमारिया, जैसे की किडनी स्टोन जैसे खतरनाक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है बल्कि इसके साथ ही आपको हार्ट से जुडी बीमारिया भी हो सकती है। उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे-वैसे शरीर में कैल्शियम की जरुरत भी बढ़ती है।

यदि आप 40 से कम है, तो हर दिन आपको 1000 mg कैल्शियम की जरुरत होगी, और यदि आप की उम्र 40 से अधिक है तो आपको 1200 mg कैल्शियम लगेगा। इसलिए बढ़ती उम्र के साथ पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम ले। जो की आपको बादाम और दुध से मिल सकता है।

स्वस्थ संभोग पर रखे ध्यान | Do Healthy Sex

अगर आप तनाव को हमेशा खुद से दूर रखना चाहती है तो आप स्वस्थ संभोग पर ध्यान दे ये न केवल आपके तनाव को कम करेगा बल्कि दीर्घकालीन बीमारियों का खतरा भी कम करेगा। इसलिए हमेशा पुरे समर्पण के साथ इसका आनंद ले।

आनुवांशिक इतिहास की जांच करे | Check genetic history

लोगों में आजकल हार्ट, डायबिटीज, कैंसर जैसी कई बीमारिया है जो की आनुवंशिक कारणों से होती है। इसीलिये डॉक्टर से अपने आनुवांशिक इतिहास के बारे में जांच करे और अगर इससे जुडी कोई समस्या है तो जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाहनुसार उसका इलाज करे।

हमेशा व्यायाम करे | Always exercise

आजकल की तनाव भरी लाइफ में महिलाओ को exercise करने की बहोत जरुरत है। यदि आप बीमारियों से बचना चाहती है तो दिन में कुछ समय exercise के लिए जरूर निकाले। इससे न केवल ह्रदय विकार, शुगर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि यह आपके तनाव को दूर रखने में भी आपकी सहायता करता है। व्यायाम करने से आपका स्वास्थ हमेशा अच्छा रहेगा। इसलिए रोजाना exercise करे।

उपरोक्त उपायों से आपको स्वस्थ रहने में काफी मदद मिल सकती है। क्योकी पुरे घर की जिम्मेदारी महिलाओंपर होती है। महिलाये स्वस्थ रहेंगी तभी घर अपने घर को स्वस्थ रख पाएंगी। इसीलिए महिलाओंका स्वस्थ रहना बहोत जरुरी है।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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Tuesday, October 1, 2019

Top 5 most shocking myths and facts about erectile dysfunction in Hindi

Erectile Dysfunction Myths And Facts in Hindi | इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से संबंधित गलतफहमियां


Erectile dysfunction एक ऐसी समस्या है जिसमें पुरुष intercourse के दौरान erection नहीं रख पाते हैं। Sex life के साथ, यह कई लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन इस समस्या के बारे में कुछ गलत धारणाएं हैं। Erectile dysfunction myths को लोग सच मानते हैं। और इसीलिए वे इसका इलाज करने से भी डरते हैं। आज हम आपको इस लेख में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के बारे में जो मिथक और सच्चाई है उनके बारे विस्तार से बताने जा रहे है...

What is erectile dysfunction in hindi - इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या स्तंभन दोष क्या है?

इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्‍तंभन दोष यह एक लैंगिक बीमारी है। इस बीमारी में पुरुष sex के दौरान लिंग मे कठोरता बनाये रखने में असमर्थ महसूस करता है। यह बीमारी युवा वर्ग से लेके सभी उम्र के पुरुषों में होती है। इसका कारण आमतौर पर तनाव, आपसी रिश्ते में कड़वाहट, sex के दौरान प्रदर्शन की चिंता, depression और चिकित्‍सा जटिलताएं होती हैं।

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आइये जानते है इरेक्टाइल डिसफंक्शन से जुड़े कुछ मिथ और तथ्य....

Myths and Facts about Erectile Dysfunction in Hindi


मिथ : इरेक्टाइल डिसफंक्शन समस्या केवल बुजुर्गों को होती है।

तथ्य: ऐसा बिलकुल नहीं है। यह सच है की बढ़ती उम्र के साथ इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन समस्याएं होती हैं। लेकिन ऐसा हरगिज नहीं है कि ये समस्या केवल उम्र बढ़ने पर या बुजुर्ग पुरुषोंमें होती है। युवा वर्ग भी इसका शिकार होता है। और अक्सर ऐसा होता है कि कई पुरुष बड़े होने पर भी अपनी sex life को एन्जॉय करते रहते हैं।

​मिथ : इरेक्टाइल डिसफंक्शनसे सेक्स लाइफ खत्म होती है।

तथ्य: यह एक बड़ी गलत धारणा है। यदि किसी व्यक्ति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष है, तो वह डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवा ले सकता है। इससे आपको इस समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है। कुछ उपचारों से भी erectile dysfunction की समस्या को दूर किया जा सकता है।

मिथ : तंग अंडरवियर से इरेक्टाइल डिसफंक्शन होता है।

तथ्य: एक धारणा यह भी है कि टाइट अंडरवियर पहनने वाले पुरुषों को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह सच नहीं है। बहुत तंग अंडरवियर पहनने से प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मिथ : केवल पुरुषों के प्राइवेट पार्ट में समस्या।

तथ्य: ऐसा बिलकुल नहीं है। कुछ लोग एक ही गलती करते हैं। लेकिन वास्तव में, इरेक्शन इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि पुरुष जननांगों के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी कुछ समस्या हो सकती है। इसलिए, समय बर्बाद किए बिना, आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

मिथ: इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज नहीं कर सकते।

तथ्य: इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज कई तरीको से किया जा सकता है। इसके इलाज के लिए कई तहर की प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज के लिए अलोपॅथी, होमियोपैथी और आयुर्वेद में कारगर उपाय दिए गए है। इन उपायों में  में इंजेक्शन, मूत्रमार्ग या लिंग के ऊतकों में रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करना, वैक्‍यूम पंप द्वारा लिंग को रक्त देना आदि शमिल है।

मिथ : सिगरेट पीने से प्राइवेट पार्ट को कोई हानि नहीं होती।

तथ्य: यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है। आपकी विभिन्न आदतों के साथ, धूम्रपान आपके private part पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। सिगरेट धूम्रपान मेल प्राइवेट पार्ट की रक्त वाहिका (नसों) को नष्ट कर देता है। इसके कारण, उस क्षेत्र में रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं होता है और इससे लिंग में इरेक्शन नहीं होता है।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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