Wednesday, July 31, 2019

Bathroom की 5 सबसे बुरी आदतें जो आपके स्वास्थ्य के लिए है हानिकारक | Bathroom में कभी न करे यह ५ गलतियाँ

Bathroom की 5 सबसे बुरी आदतें जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। दैनिक जीवन में हमेशा छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। स्वछता भी उनमे से एक महत्वपूर्ण बात है।

स्वच्छता रखने से न ही केवल रोगो से बचा जा सकता है बल्कि रोगोंकी रोकथाम करने के लिए भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए निजी जीवन में स्वच्छता जरूरी है।

हमारे दैनिक जीवन में Bathroom का इस्तेमाल भी नियमित आधार पर किया जाता है। हालाँकि, Bathroom के संबंध में कुछ गलत आदतें शरीर के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसलिए आपको इस लेख में Bathroom में की जाने वाली बड़ी गलतियों के बारे में जानकारी दी गई है। इन गलतियोंको विस्तार से जानने के लिए पढ़िए-

Bathroom की 5 सबसे बुरी आदतें (Bathroom’s 5 Worst Habits in hindi)


Bathroom में Mobile use करना

कई लोग ऐसे है जिनको Bathroom में mobile का use करने बुरी आदत होती हैं। हालाँकि, Bathroom में mobile का इस्तेमाल करना बहोत हानिकारक हो सकता है।

Bathroom में bacteria होते हैं जो mobile की छेदों में घुस जाते है या screen पर बैठते हैं। उसके बाद जब आप mobile का इस्तेमाल करते है तो यह bacteria आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकते है।

इसलिए आप जभी Bathroom जाये तो वह mobile का इस्तेमाल न करें।

Bathroom में एक गीला towel रखना

Bathroom में towel का उपयोग करना एक आम बात है। हर कोई Bathroom में towel का इस्तेमाल करता है। लेकिन नहाने के बाद अक्सर यह गीला towel कहीं भी रख दिया जाता है।

इसके अलावा, कई लोग यैसे भी है जो उसे Bathroom में ही भूल जाते है। और अगले दिन उसी गीले towel का फिर से इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह आदत महंगी पड़ सकती है।

गीला towel पुरे दिन Bathroom में पड़े रहने से उसमे Fungal Infection का खतरा बढ़ जाता हैं। इसीलिए रोजाना साफ towel का इस्तेमाल करना चाहिए। ये सेहत के लिए फायदेमंद हैं।

सही समय पर Toothbrush न बदलना

Toothbrush का उपयोग आपके दांतों को brush करने के लिए किया जाता है। इसलिए अपने दांतों को brush करने से पहले और बाद में Toothbrush को धो लें। अच्छी quality के Toothbrush का इस्तेमाल करें।

इसके अलावा Toothbrush को कुछ दिनों के बाद बिल्कुल बदल दें। क्योंकि पुरानी Toothbrush में bacteria फ़ैल जाते है। इस वजह से आपके दातो में infection होने का खतरा बढ़ जाता है।

इसलिए सेहतमंद रहने के लिए सही समय पर Toothbrush बदलनी चाहिए।

Body Scrubber न बदलना

कई लोगों को नहाते वक्त Body Scrubber इस्तेमाल करने की आदत होती है। हालाँकि, कुछ दिनों के बाद Body Scrubber को बदलें क्योंकि अगर Scrubber नहीं बदला तो उससे skin से संबंधित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।

इसलिए हमेशा सही समय पर Body Scrubber को बदलते रहना चाहिए।

Bathroom को साफ न रखना

Bathroom को हमेश साफ-सुथरा रखें क्योंकि रोजाना इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ हजारो की मात्रा bacteria पनपते है। Bathroom को साफ रखने के लिए market में कई चीजें मौजूद हैं। इसलिए इनका उपयोग करे ताकि आपका स्वास्थ भी हमेशा ठीक रहें।

Monday, July 29, 2019

Best uses of Sunscreen Lotion in Rainy Season | बारिश में सनस्क्रीन लगाने के फायदे

जब गर्मियां आती हैं, तो कई लोग अपनी skin को गर्मी से बचाने के लिए sunscreen का इस्तेमाल करते हैं। गर्मियों में बाहर जाने पर skin की सुरक्षा के लिए sunscreen महत्वपूर्ण है। हालाँकि, यह न केवल गर्मियों में बल्कि Rainy Season में भी skin के लिए फायदेमंद है। skin को सूरज की किरणों से बचाने के लिए sunscreen लगाना जरूरी है। इसलिए, Rainy Season में भी इसका उपयोग करना महत्वपूर्ण है।

गर्मियों साथ साथ Rainy Season में भी skin की अच्छी देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में आपको Best uses of Sunscreen Lotion in Rainy Season – बारिश में सनस्क्रीन लगाने के फायदों के बारे में जानकारी दी गई है। और यह भी बताया गया है की इस मौसम में आम sunscreen क्यों न लगाए।

How To Use Sunscreen Lotion In Rainy Season In Hindi | बारिश में सनस्क्रीन का उपयोग कैसे करें?


Water Resistant Sunscreen का प्रयोग
मुख्य रूप से बरसात के मौसम में Water Resistant Sunscreen का उपयोग करें। क्योंकि जब आप बारिश में भीग जायेंगे तो ये आपके skin का रक्षण करेगी। इस मौसम में आम Sunscreen का उपयोग करने से वह skin पर फैलने लगती हैं।

सही SPF वाली Sunscreen का चुनाव
सही SPF वाली Sunscreen Lotion सूर्य से निकलने वाली Ultraviolet rays के ख़राब प्रभाव को कम करने में मदत करती हैं। बारिश के मौसम में High SPF वाली Sunscreen की जरूरत नहीं होती है। इसलिए बरसात में कम SPF वाली और धुपकाले में ज्यादा SPF (+15) वाली Sunscreen का इस्तेमाल करे।

Gel based Sunscreen का चुनाव
बारिश के मौसम में Gel based Sunscreen का चुनाव करें। अगर आप सामान्य Sunscreen चहरे पर लगते है तो वह बारिश में जल्दी निकल जाएगी। और आप अपनी स्किन को बारिश से ज्यादा देर तक बचा नहीं सकेंगे।

Sunscreen लगाने का सही तरीका
गर्मी के मौसम में ज्यादा मात्रा में Sunscreen लगाने की आवश्यकता होती है। जबकि बारिश में उतनी ज्यादा Sunscreen लगाने की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए skin को अच्छे से cover कर सके उतनी ही मात्रा में cream लगाए।

Avoid ‘These Mistakes’ while using Sunscreen | सनस्क्रीन का उपयोग करते समय ‘इन’ गलतियों से बचें


केवल Sunscreen Lotion लगाने से ही skin की रक्षा नहीं होती, बल्कि कुछ ऐसी गलतियों से भी बचना चाहिए जो Sunscreen लगाते वक्त हो सकती हैं।

Sunscreen लगाने का सही समय
आमतौर पर लोग जब घर से बाहर निकलते समय Sunscreen का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि आप कभी बाहर जाने की plan बनाते हैं, तो निकलने से लगभग 10 से 15 मिनट पहले ही इसे लगा लेनी चाहिए। ऐसा करने से Sunscreen को अपना काम करने में काफी समय मिलता है और यह आपका बचाव भी करता है।

दिन में कितनी बार लगाना चाहिए
ज्यादातर लोगोंकी सोच होती है की दिन में केवल एक बार Sunscreen का प्रयोग करना सही है, लेकिन यह एक गलत सोच है। क्यों की दो से तीन घंटे में उसका असर कम हो जाता है। इसलिए हर रोज दो से तीन घंटे के भीतर इसे फिर से लगाना चाहिए।

यह भी ध्यान में रखे की driving और swimming के बाद भी इसका उपयोग करना चाहिए।

केवल गर्मी के मौसम में उपयोग
आमतौर पर लोग यह सोचते हैं कि Sunscreen केवल गर्मी के मौसम में ही skin की रक्षा करता है। लेकिन आप बाकि seasons में भी घर से बाहर जाने से पहले इसका इस्तेमाल कर सकते है। क्योंकि यह किसी भी वातावरण में आपकी skin की रक्षा करता है।

Dark skin वालों का प्रयोग न करना
Dark skin वाले लोगों को यह सोच होती है कि उन्हें Sunscreen का इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन यह गलत धारणा है। क्योंकि यह skin को सूरज की हानिकारक Ultraviolet rays से बचाता है। इसलिए, किसी भी skin tone के लिए इसका उपयोग करना जरुरी है।

नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले, क्योंकि कुछ को Sunscreen से allergy हो सकती है।

Saturday, July 27, 2019

Causes of Piles in Hindi | बवासीर होने के कारण और बढ़ने के खतरे

कभी कभी गुदा और मलाशय में मौजूद नसों में तनाव और सूजन आती है उसे बवासीर (Piles) कहते है। आमतौर पर देखा जाये तो यह मलाशय और गुदा में स्थित जो Varicose Veins होती है उसकी बीमारी है। बवासीर (Piles) गुदा या मलाशय के अंदर की तरफ या बाहर की ओर हो सकता है। इस लेख में, आप बवासीर (Piles) के कारणों के बारे में जान सकते हैं। तो पढ़िए Causes of Piles in Hindi - बवासीर होने के कारण;

बवासीर (Piles) क्यों होता है?


मलाशय/गुदा (Rectum) के आसपास की नसों में दबाव कारण उनमें एक तरह का खिंचाव आता है जिससे कारण उनमें सूजन उत्पन्न होती है या उनमे उभर आ जाती हैं। इन नसों में आई सूजन के कारण ही बवासीर (Piles) उत्पन्न होता है। मलाशय/गुदा के निचे वाले हिस्से में निम्नलिखित कारणों से दबाव बढ़ता है।

१) टॉयलेट में काफी समय से बैठे रहना
२) पुराणी कब्ज या लंबे समय से दस्त होना
३) शौच/ मलत्याग करते समय जोर लगाना

ऊपर दिए गए सभी मलाशय/गुदा क्षेत्र में रक्त प्रवाह (blood flow) को प्रभावित करते हैं, जिससे रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ता है और उनके आकार में वृद्धि होने लगती है। इसके अलावा शौच करते वक्त अधिक जोर लगाने से मलाशय/गुदा की नली में दबाव बढ़ जाता है, Sphincter (एक तरह की खुलने एवं बंद होने वाली मांसपेशियां) में दबाव पड़ने के कारण बवासीर (Piles) होता है।

Piles causes in Hindi | बवासीर के कारण


१) स्थूलता/मोटापा (Obesity):
मोटापे के कारण पेट बढ़ने लगता है, पेट के भीतर का दबाव बढ़ने से मलद्वार/गुदा की मांसपेशियों (Anal muscles) पर दबाव बढ़ता है।

२) उम्र बढ़ना (Aging): 
बढाती उम्र के साथ-साथ जो पेशियाँ (Tissues) बवासीर से बचाव कराती हैं, वह कमजोर हो जाती हैं। इसी वजह से बवासीर (Piles) और बढ़ जाता है और उभर कर बाहर की और निकल आता है।

३) गुदा मैथुन (Anal Sex): 
गुदा मैथुन (Anal Sex) के कारण भी बवासीर हो सकता है।

४) गर्भावस्था (Pregnancy): 
गर्भावस्था (Pregnancy) में गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण भी मलाशय/गुदा की नसों (veins) में तनाव आने लगता है और उनपर सूजन आती है।

बवासीर (Piles) का खतरा बढ़ने का क्या कारण है?


गुदा नलिका (Anal canal) की परत के अंदर की नसों में होने वाले बदलाव और बवासीर होने के कारण पूरी तरह से साफ नहीं है। हालांकि कि कई समस्याओ में माना जाता है की मलाशय के भीतर और गुदा के इर्द गिर्द बढ़ने वाला दबाव यह एक प्रमुख कारण हो सकता है।

आनुवंशिकता (Heredity):
आनुवंशिकता के कारण भी बवासीर (Piles) की बीमारी हो सकती है। मलाशय स्थान में नसों की कमजोरी बवासीर के आनुवंशिक कारणों से हो सकती है।

बद्धकोष्ठता/कब्ज (Constipation):
बद्धकोष्ठता के कारण शौच करते वक्त अधिक जोर लगाना पड़ता है जिसके कारण गुदा के आसपास और भीतर दबाव पड़ने से बवासीर (Piles) होता है। इसलिए, जब भी बद्धकोष्ठता/कब्ज की समस्या हो तो जितनी जल्दी हो सके इसका इलाज करें।

गर्भावस्था (Pregnancy):
गर्भावस्था (Pregnancy) में बवासीर (Piles) होना आम बात है। ये गर्भाशय में बच्चे के दबाव के कारण हो सकता है। इसके सिवाय, गर्भावस्था में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से भी हो सकता है।

अधिक भार उठाना (Carry Over Weight) 
जब अधिक भार उठाते हैं, तो मलाशय पर अतिरिक्त शारीरिक दबाव पड़ता है। लम्बे वक्त तक ऐसा करने से, रक्त वाहिकाओं में सूजन का खतरा बढ़ जाता है जिससे कारन बवासीर (Piles) की शुरुआत हो सकती है। इसके सिवाय, लम्बे समय तक खड़े और बैठे रहने से भी पाइल्स हो सकता है।

Friday, July 26, 2019

What is Piles in Hindi | बवासीर (Piles) क्या है?

बवासीर (Piles) सभी देशो के लोगो में पाई जाने वाली एक आम बीमारी है। इसे इंग्रेजी में Piles/Hemorrhoidऔर मराठी में मूलव्याध के नाम से जाना जाता है। आम भाषा में इसे ख़ूँनी बवासीर या बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। तो कही जगह इसे महेशी के नाम से जाना जाता है। अगर ये बढ़ जाये तो एक ख़तरनाक बीमारी है।
इस लेख में बवासीर (Piles) क्या है? के बारे पर चर्चा की गई है। तो आइए जननते है Piles kya hai?

What is Piles in Hindi | बवासीर (Piles) क्या है? हिंदी में

कभी कभी गुदा और मलाशय में मौजूद नसों में तनाव और सूजन आती है उसे बवासीर (Piles) कहते है। आमतौर पर देखा जाये तो यह मलाशय और गुदा में स्थित जो Varicose Veins होती है उसकी बीमारी है। बवासीर (Piles) गुदा या मलाशय के अंदर की तरफ या बाहर की ओर हो सकता है। 
वैसे बवासीर (Piles) होने के कई कारण हो सकते है, लेकिन इसके होने के कारण का पता अभी तक नहीं लग पाया है। हालांकि इसके कई मौजूदा कारन है, 
१) यह मल त्याग करने के दौरान अत्यधिक जोर लगाने के कारण हो सकता है। 
२) स्र्तियोंको गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान गुदा की vains में दबाव बढ़ने के कारण हो सकता है।

Symptoms of Piles in Hindi | बवासीर (Piles) के लक्षण हिंदी में
बवासीर (Piles) के Symptoms भी विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं,
१) गुदा में होने वाली खुजली या तकलीफ 
२) गुदा से blood आना
३) गुदा का हिस्सा बाहर की तरफ निकल जाना आदि तक हो सकते हैं। 
बवासीर (Piles) के Symptoms इसकी गांभीर्य पर depend करते हैं। बवासीर (Piles) का इलाज हमारे lifestyle में कुछ सरल बदलाव करने से किया जा सकता है। जैसे  Fiber युक्त खाद्य पदार्थों के साथ भोजन और Cream लगाना। वही कुछ जटिल समस्याओ में  इलाज के लिए operation करना पड सकता है। 

बहुत ही कम मामलों में बवासीर (Piles) से कठिनाइयाँ पैदा होती है। लेकिन अगर बवासीर (Piles) को इलाज किए बिना छोड़ दिया जाए, तो इससे लंबे समय तक सूजन व लालिमा बानी रह सकती है और भगन्दर (Fistula) होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
आमतौर पर बवासीर (Piles) इतनी हानिकारक बीमारी नहीं है और लेकिन इससे अगर किसी प्रकार की problem हो रही हो, तब इसका इलाज करने की आवश्यकता है। गर्भावस्था (Pregnancy) में होने वाला बवासीर (Piles) आमतौर पर खुद से ही ठीक हो जाता है। 

कब्ज (Constipation) के कारण होने वाले बवासीर (Piles) को ठीक करने के लिए अपने आहार व जीवनशैली में बदलाव करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, बवासीर (Piles) का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है।

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