Tuesday, November 5, 2019

Piles Prevention in Hindi | बवासीर से कैसे बचाव करें

मलाशय और गुदा में जो नसें मौजूद होती है, जिनपर मलत्याग करते वक्त सूजन या तनाव आता है जिसे बवासीर (Piles) कहते है। गुदा और मलाशय में जो Varicose veins है, उनपर दबाव पड़ने पर बवासीर (Piles) होता है। यह मलाशय या गुदा के बाहर की तरफ या अंदर की और हो सकता है। तो आइये जानते है, Piles Prevention in Hindi - बवासीर से कैसे बचाव करें;

बवासीर (Piles) को कैसे रोके? 


बवासीर (Piles) को रोकने का सबसे अच्छा तरीका मल को नरम रखना है, यानि मलत्याग के दौरान वह आसानी से बाहर आ सके। स्वच्छ और पौष्टिक आहार मल को नरम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आपको पुरे दिन में 25-30 gm या उससे ज्यादा Fiber के गुण वाले पदार्थ खाने चाहिए।

Fiber के गुण वाले पदार्थ में घुलने वाले और बिना घुलने वाले ऐसे दो प्रकार के फाइबर होते हैं। अगर आप Fiber मिश्रित आहार को अपने खाने में शामिल नहीं कर सकते हैं, तो इसे आहिस्ते आहिस्ते अपनी diet में शामिल करें, क्यो की diet में अचानक Fiber शामिल करने से gas और पेट फूलने की समस्या का सामना कर पड सकता है।

Read: Causes of Piles in Hindi | बवासीर होने के कारण और बढ़ने के खतरे

आप बवासीर (Piles) को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं।

१) लम्बे समय तक Toilet में ना बैठें:
Toilet में बहोत देर बैठें रहने से मल त्यागने में परेशानी हो सकती है। Toilet Sit पर गलत तरीके से बैठने के कारण भी गुदा के इर्द गिर्द की blood vessels पर दबाव पड़ता है। इसी वजह से लम्बे समय तक Toilet में ना बैठें।

२) शौच करने की इच्छा को नजरअंदाज न करें:
यदि आप शौच करने की की उपेक्षा करते हैं, तो इससे आपका मल कठोर या शुष्क बन सकता हैं। जिसके कारण उसको बाहर आने में मुश्किल होती है और गुदा की स्नायु पर दबाव पड़ता है। इसीके साथ शौच की इच्छा न होने पर आप अनावश्यक जोर नही लगाना चाहिए।
 
३) अधिकाधिक पानी पिएं:
अधिकाधिक पानी पिने से मल नरम होने में मदद मिलती है। और उसे बहार आने में कठिनाई नही होती है।
 
४) रोजाना Exercise करें:
रोजाना की जाने वाली शारीरिक गतिविधिया से मल त्याग करने में आसानी होती है। इसलिए Exercise को अपने रोजाना की आदतों में शामिल करें। पहले आसान और कम भर वाली Exercise (जैसे, पैदल चलना, jogging, cycling) करें।

हररोज केवल 20 मिनट पैदल चलना भी मल त्याग करने की प्रक्रिया बेहतर बनता है। शुरवाती दौर में अधिक भार वाली Exercise से बचें। और फिर धीरे-धीरे अधिक प्रभावी Exercise करने की आदत को अपनाएं।
   
५) Fiber से भरपूर खाद्य पदार्थ खाइए:
अपने रोजाना के आहार में अधिकाधिक मात्रा में Fiber युक्त पदार्थोंको (जैसे, Cereals, हरी-भरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज) शामिल करें।  इसके साथ आपको ईसबगोल (Psyllium) जैसे Natural Fiber को भी अपनी diet में शामिल करना चाहिए। किंतु Fiber युक्त पदार्थोंको सीधे अपनी diet मिल न करें क्योंकि इसकी वजह से पेट फूलने की समस्या और गैस भी होती है।
 
६) हमेशा active रहे:
अगर आपकी दैनंदिन जीवनशैली में लगातार बैठे रहने वाली job शामिल है, तो ऐसे में लगातार बैठे रहने वाली कार्यप्रणली में थोड़ा बदलाव करें। हर एक घंटे में दो-तीन मिनट का विराम लें या थोड़ा घूम ले।

अगर आपके दफ्तर में lift है तो उसकी की जगह सीढ़ियों का प्रयोग करें। इसके आपको कुछ दूर चलने का अवसर मिलेगा।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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Monday, November 4, 2019

नवजात शिशु की देखरेख कैसे करें - How to care for a Newborn in Hindi

नवजात शिशु की देखरेख करने के सही तरीके - Best tips to care for a newborn baby in Hindi

नवजात शिशु की देखरेख करना कोई आसान बात नहीं है। उनकी देखभाल बड़ी ही सावधानी से करनी पड़ती है। क्योंकी नवजात शिशु को बाहर की परिस्थिति से परिचित होने में थोड़ा वक्त लगता है। जन्म के बाद शिशु की बहुत बातो का ध्यान रखना होता है। जैसे की उसे माँ का कितना दूध पिलाना चाहिए, उसकी नींद, नवजात शिशु के कपडे आदि। तो आइये इस लेख में जानते है, नवजात शिशु की देखरेख कैसे करें - How to care for a Newborn in Hindi

Navjaat Shishu Ki Dekhbhal Kaise Kare

नवजात शिशु की देखभाल करने के लिए अनुभव होना बहुत जरुरी होता है। पुराने ज़माने में परिवार में बड़े बुजुर्ग होते थे जो की नवजात शिशु की देखभाल कैसे की जाती है इस बात को अच्छी तरह से जानते थे। लेकिन आजकल की विभक्त परिवार पद्धति में इन बातो का अनुभव कम होता है।

इसलिए नवजात शिशु की सही तारीखे से देखभाल करने के लिए हम आपको कुछ बाते बताने जा रहे है जिससे आप अपने Navjaat Shishu Ki Dekhbhal न केवल अच्छे तरीके से कर सकेंगे बल्कि अपने माता पिता का कर्त्तव्य भी बड़ेहि अच्छी तरह से निभाएंगे।

नवजात शिशु की देखरेख का सही तरीका - Right way to care for newborn


डॉक्टर की सलाह - Doctor's advice

सबसे पहले अपने नवजात बच्चे की आपके डॉक्टर की मदद से अच्छे से जांच करले और यह निश्चित कर ले की आपका नवजात शिशु पूरी तरह से ठीक है या नहीं। यह बात आपके नवजात पैदा हुए बच्चे के देखभाल का सबसे अहम् भाग है।

नवजात शिशु इस दुनिया में बिल्कुल नया होता है उसमे कुछ बच्चे जल्दी से रोते नहीं है। उसी तरह कुछ नवजात बच्चो का वजन भी कम ज्यादा होता है। ऐसे में माँ बाप डर जाते है। कुछ नवजात शिशु को पीलिया होने का भी खतरा रहता है ऐसे मामले में तुरंत डॉक्टर को बताना उचित रहता है।

नवजात बच्चे का बिस्तर और तकिया - Newborn baby bed and pillow

नवजात बच्चे के सिर का पिछला हिस्सा काफी नर्म होता है। और उनकी skin भी काफी मुलायम होती है। उनके सिर की देखभाल करना बहोत ही जरुरी कम होता है। ताकि उनके सिर और पूरी बॉडी को अच्छे से आराम मिले और सिर के पिछले हिस्से को कोई नुकसान न पहुंचे।

इसलिए नवजात शिशु का बिस्तर और तकिया उनके सिर और बॉडी के हिसाब से छोटा और एकदम नर्म होना चाहिए। आप इसके लिए नवजात बच्चे के वजन और आकार के हिसाब से बाजार में मिलने वाले विशेष बिस्तर और तकिये का इस्तेमाल कर सकते है।

शिशु को कैसे लें - How to take an infant

नवजात शिशु को गोद में लेना बहोत ही नाजुक काम है। क्योकि जन्म के बाद शिशु बहुत ही नाजुक होता है। उसकी गर्दन और सिर का हिस्सा भी बहोत ही नाजुक होता है। इसलिए नवजात शिशु बड़े ही सावधतापूर्वक गोद में लेना चाहिए। उसे गोद में लेते वक्त उसके सिर निचे अपना एक हाथ रखकर उसे उठाना चाहिए। और अपना दूसरा हाथ उसके कमर के नीचे रखें।

ध्यान रहे नवजात शिशु की मासपेशियां पूरी तरह से विकसित न होने के कारण बहोत नाजुक होती है इसलिए आप जब भी उन्हें अपनी गोदी में उठा रहे हो तो उनके शरीर को सावधानी रखते हुए सहारा देकर ही उठायें।

बच्चे को दूध कैसे पिलाना चाहिए - How to breastfeed a baby

माँ के दूध नवजात शिशु के लिए बहोत जरुरी होता है। लेकिन शुरवात में बच्चे को माँ का दूध पिने में कठिनाई होती है। इसलिए बच्चे को दूध कैसे पिलाये यह माँ पर निर्भर होता है। जन्म के तुरंत बाद माँ के स्तन से गाढ़ा और पीला दूध निकलता है जो शिशु के लिए बहोत फायदेमंद होता है। इस कोलेस्ट्रम कहते है।

माँ का यह दूध पिने से बच्चे में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। जिससे बच्चे को स्वस्थ और तंदरुस्त रहने में मदद मिलती है। अतः अपने नवजात शिशु को यह दूध कैसे पीलाना है यह माँ को बड़े धैर्य से सीखना चाहिए। शुरवात में माँ की मदद से ही बच्चा दूध पिने लगेगा।

नवजात शिशु को माँ अपने दोनों स्तनों से दूध पिलाये ताकि बच्चे को उसकी आदत हो जाये। दूध पिलाते वक्त बच्चे को सास लेने में दिक्कत न हो इसका माँ को ध्यान रखना चाहिए। क्योकि शिशु जब गर्भाशय में होता है तो वो माँ के साथ का आदि हो जाता है।  उन्हें माँ का स्पर्श सुरक्षित महसूस कराता है।

दूध पिलाते वक्त बच्चे को सास लेने में दिक्कत न हो इसलिए माँ को अपने स्तन को थोड़ा दबाकर शिशु के साँस लेने के लिए जगह बनानी चाहिए। अगर स्तन में ज्यादा दूध भर जाये तो उसे निकल लेना चाहिये। नहीतो स्तनो में दर्द की संभावना बढ़ जाती है।

जन्म के बाद बच्चे के टीके का समय - Baby vaccine time

जन्म के बाद बच्चे के टीके का सही समय ध्यान रखना बहोत आवश्यक होता है। अगर सही समय पर टीकाकरण नहीं करने पर शिशु गम्भीर बीमारियों के चपेट में आ सकते है। इसलिए नवजात शिशु को सही समय पर सही टिका (Vaccine) लगाना चाहिए।

टीके का सही समय ध्यान रखने के लिए सम्बंधित टीके का चार्ट बनवा लेना चाहिए ताकि आप टीका लगवाने का सही समय याद रख सकेंगे। साथ ही शिशु का प्रोग्रेस चार्ट बनवा ले। जिसकी मदद से आप अपने बच्चे का शारीरिक तौर पर सही विकास हो रहा है नहीं यह जान सकेंगे।

(नोट: उपरोक्त सुझाव केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए हैं। अतः इसक उपयोग करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले।)

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